गोरखपुर। बीआरडी मेडिकल कॉलेज जीवनरक्षक दवाओं की कमी से जूझ रहा है। कैंसर व इंसेफ्लाइटिस की दवाओं सहित कई महत्वपूर्ण दवाएं खत्म हो गई हैंमरीज महंगी दवाओं को बाहर से खरीदने को मजबूर हो रहे हैंयहां तक कि कुष्ठ रोगियों को भी मुफ्त में दवाएं नहीं मिल पा रही हैं। नेपाल, बिहार व पूर्वी उत्तर प्रदेश के बड़ी संख्या में गरीब मरीजों के सामने दवा का संकट खड़ा हो गया है। मेडिकल कॉलेज संवाददाता के अनुसार मेडिकल कॉलेज से ज्यादातर जीवनरक्षक दवाएं खत्म हो गई हैं। दूसरे डॉक्टर जेनरिक दवाएं नहीं लिख रहे हैं, जबकि काउंटर पर जेनरिक दवाएं ही उपलब्ध हैं। इसलिए भी मरीज बाहर से दवाएं खरीदने को मजबूर हैं। ओपीडी से मरीज जब पर्ची लेकर काउंटर पर जा रहे हैं तो आधी दवाएं ही मिल पा रही हैंशेष वे बाहर से खरीद रहे हैं। सामान्य बीमारी के भी मरीजों को यदि आठ दवा लिखी जा रही है तो उसमें से काउंटर पर केवल दो दवाएं मिल रही हैं। शेष छह दवाएं बाहर से खरीदनी पड़ रही हैंयही नहीं, कुष्ठ रोग का इलाज कराने जा रहे मरीजों को भी बाहर से दवा खरीदनी पड़ रही है। वहां न दवा है और न ही कोई वितरण करने वाला। चर्म रोग विभाग में एनएमए (नॉन मेडिकल असिस्टेंट) को दवा वितरण की जिम्मेदारी थी। वही सीएमओ कार्यालय से दवा लाते थे और वितरित करते थे। गत अगस्त में उनका स्थानांतरण हो गया, तभी से न दवा आई और न ही वितरण हुआ। जीवनरक्षक दवाओं के साथ मल्टी विटामिन भी खत्मरू ओपीडी, भर्ती व इमरजेंसी मरीजों को निश्शुल्क दवाएं दी जाती हैं। दवा की खरीददारी जेम (गवर्नमेंट ई मार्केटिंग) पोर्टल से की जाती है। कैंसर के मरीजों को ज्यादातर दवाएं बाहर से खरीदनी पड़ रही हैं। प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. गिरीश चंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि दवाओं का ऑर्डर भेजा गया है, दवाएं जल्द ही उपलब्ध हो जाएंगी
बीआरडी0 कालेज में कैंसर व इंसेफ्लाइटिस की दवाएं नदारद