सियाचिन में भी हुआ था हिमस्खलन

उत्तरी कश्मीर में मंगलवार को एलओसी पर अलग-अलग हुई हिमस्खलन की दो घटनाओं में 2 जवान शहीद हो गए। कई जवान लापता हैं, जबकि शेष चार को सुरक्षित निकाल कर अस्पताल में भर्ती कराया गया है। लापता जवानों की तलाश में व्यापक पैमाने पर सर्च ऑपरेशन चलाया गया है।


सैन्य सूत्रों ने बताया कि कुपवाड़ा जिले के करनाह सेक्टर में एलओसी के ईगल पोस्ट पर मंगलवार सुबह आए हिमस्खलन में सेना की दो जाट रेजीमेंट के चार जवान दब गए। सूचना मिलते ही पास की पोस्ट से जवानों को बचाव कार्य के लिए भेजा गया। इसके साथ ही प्रशिक्षित जवानों को भी लगाया गया।


हेलीकॉप्टर की भी मदद ली गई। देर शाम तक ऑपरेशन चलाया गया। एसएसपी श्रीराम दिनकर ने बताया कि चार जवान हिमस्खलन में दब गए थे। एक जवान का शव बरामद कर लिया गया है। एक को सुरक्षित निकालकर अस्पताल भेजा गया है, जबकि एक जवान अब भी लापता है। फिलहाल सर्च ऑपरेशन चल रहा है।


गुरेज सेक्टर में 4 जवान लापता


उधर, बांदीपोरा जिले के गुरेज सेक्टर के बख्तूर इलाके में बर्फीले तूफान की चपेट में आने से चार जवान गहरी खाई में गिरकर लापता हो गए। सूचना मिलते ही बचाव कार्य शुरू किया गया। इस दौरान तीन जवानों को सुरक्षित निकाल लिया गया, लेकिन एक जवान अब भी लापता है। सैन्य सूत्रों के अनुसार बचाव कार्य युद्धस्तर पर किया जा रहा है। इससे पहले नवंबर में सियाचिन ग्लेशियर में आए हिमस्खलन में चार जवान शहीद हो गए थे। दो पोर्टरों की भी मौत हुई थी। बाद में हुई अन्य घटना में दो सैनिक शहीद हो गए थे।


सियाचिन में भी हुआ था हिमस्खलन


हाल ही में सियाचिन ग्लेशियर में हुई अलग-अलग हिमस्खलन की घटनाओं में कई जवानों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। सियाचिन को दुनिया के सबसे ऊंचे रणक्षेत्र के रूप में जाना जाता है। तीन दिन पहले सियाचिन के दक्षिणी इलाके में हुए हिमस्खलन में सेना के दो जवान शहीद हुए थे। इससे पहले 18 नवंबर को भी सियाचिन ग्लेशियर में हुए भीषण हिमस्खलन में भारतीय सेना के 4 जवान शहीद हो गए थे। इसके अलावा दो पोर्टरों की भी मौत हो गई गई थी।


1984 से अबतक 1000 से अधिक जवान शहीद


सियाचिन में इससे पहले भी कई बार ऐसे हादसों में भारतीय सेना के सैकड़ों जवान अपनी जान गंवा चुके हैं। आंकड़ों के अनुसार, साल 1984 से लेकर अब तक हिमस्खलन की घटनाओं में सेना के 35 ऑफिसर्स समेत 1000 से अधिक जवान सियाचिन में शहीद हो चुके हैं। 2016 में ऐसे ही एक घटना में मद्रास रेजीमेंट के जवान हनुमनथप्पा समेत कुल 10 सैन्यकर्मी बर्फ में दबकर शहीद हो गए थे।


सर्दी में -60 डिग्री तक हो जाता है तापमान


बता दें कि कारकोरम क्षेत्र में लगभग 20 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित सियाचिन ग्लेशियर विश्व में सबसे ऊंचा सैन्य क्षेत्र माना जाता है, जहां सैनिकों को फ्रॉस्टबाइट (अधिक ठंड से शरीर के सुन्न हो जाने) और तेज हवाओं का सामना करना पड़ता है। ग्लेशियर पर ठंड के मौसम के दौरान हिमस्खलन की घटनाएं आम हैं। साथ ही यहां तापमान शून्य से 60 डिग्री सेल्सियस नीचे तक चला जाता है। 


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